भारत के सभी राज्यों में शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में आबादी भूमि उपलब्ध हैं. गरीब एवं भूमिहीन परिवारों के लिए सरकार भूखण्ड आवंटन हेतु कई योजनाएं बनाती हैं. जिससे ज्यादा से ज्यादा भूमिहीन गरीब परिवारों को लाभ दिया जा सके|अलग – अलग राज्य सरकारें अपने राज्य की स्थिति के अनुसार आवासीय भूखण्ड आवंटन हेतु नियम बनाती है। जिससे अधिक से अधिक भूमिहीन परिवारों को लाभ प्रदान किया जा सकें | आबादी भूमि के नियम की पूरी जानकारी आपको इस पोस्ट में दी जा रही है |
गांव या शहर में जो खाली सरकारी जमीन या आबादी जमीन हैं. उसको सरकार के द्वारा बनाई गई कुछ मापदंडों के नियमानुसार आवासीय और कृषि कार्य के लिए पट्टा दिया जाता हैं|अगर आप भी अपने या अपने परिवार के किसी पात्र व्यक्ति के नाम पर आबादी जमीन का पट्टा बनवाना चाहते है, तो आपको आबादी भूमि के नियम पता जरूर होने चाहिए। क्योंकि पट्टा किसे और क्यों दिया जायेगा, बिना इसके जाने आप इसका लाभ नहीं ले पाएंगे। इसलिए आप इस पोस्ट आबादी भूमि के नियम क्या है में दी गयी पूरी जानकारी को पूरा जरुर देखें | तो चलिये शुरू करते हैं |
आबादी भूमि के नियम क्या है ऐसे देखें
- नियम-157 के अन्तर्गत वर्ष 1996 तक आबादी भूमि पर निर्मित मकानों के पट्टे जारी करना: राजस्थान पंचायती राज नियम, 1996 के नियम 157 के अन्तर्गत वर्ष 1996 तक आबादी भूमि पर निर्मित मकानों के नियमन एवं पट्टा जारी करने का प्रावधान है।
- नियम-157-(2) के तहत कब्ज़ों के आधार पर पट्टे जारी करना: गांवों में ऐसे परिवार जिनके पास कोई भूखण्ड या मकान नहीं है और उन्होंने वर्ष 2003 तक कोई झोंपड़ी या कच्चा मकान आबादी भूमि पर निर्माण कर लिया है-उन्हें नियम 157-(2) के तहत 300 वर्गगज़ तक का भूखण्ड निःशुल्क नियमित कर दिया जायेगा और इसका पट्टा परिवार की महिला मुखिया के नाम जारी किया जायेगा।
- नियम-158 के तहत रियायती दर पर आवासीय भूखण्ड का आवंटन: राजस्थान पंचायती राज अधिनियम, 1996 के नियम 158 के अन्तर्गत-राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों के कमज़ोर वर्गो के परिवारों को पंचायत 300 वर्ग गज़ तक की भूमि रियायती दरों पर-(2 रूपये से 10 रूपये, प्रति वर्ग मीटर) के आधार पर आवंटित किये जा सकेंगे।
- नियम-158 के तहत निःशुल्क आवासीय भूखण्ड का आवंटन: बी.पी.एल. में चयनित परिवारों, घुमक्कड़ भेड़पालकों के परिवारों को पंचायती राज नियम 158-(2) में संशोधन करते हुए, राज्य सरकार ने गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों को भूमि का आवंटन निःशुल्क करने का अधिकार पंचायतों को ही दे दिया है। पहले यह अधिकार राज्य सरकार में निहित था।
अन्य राज्यों के आबादी भूमि के नियम
आपको यहाँ पर कुछ राज्यों के आबादी भूमि के नियम क्या हैं. उसके पीडीएफ लिंक दिए दिए गए हैं. इसे आप डाउनलोड करके पढ़ सकते हैं.
आबादी भूमि के नियम MP PDF
आबादी भूमि के नियम UP PDF
आबादी भूमि के नियम छत्तीसगढ़ PDF
ध्यान दें – आबादी भूमि के नियम के अनुसार आबादी भूमि का पट्टा प्रदान करने का अधिकार पंचायत को मिला हुआ है। अगर आप किसी जमीन का पट्टा बनवाना चाहते है तो आपको पंचायत कार्यालय में संपर्क करना चाहिए।
आबादी भूमि के नियम सामान्य प्रश्न (FAQs)
आबादी जमीन पर किसका हक होता है ?
आबादी जमीन पर सरकार का हक होता है। ये सरकारी जमीन होती है। इस जमीन को सरकारी कार्यों के लिए जैसे – स्कूल, अस्पताल, सरकारी कार्यालय बनाने के लिए किया जाता है। स्थानीय प्रशासन कुछ योजनाओं के तहत आबादी जमीन का पट्टा वितरित कर सकती है।
आबादी की जमीन के कितने प्रकार हैं?
- वन भूमि
- बंजर तथा कृषि अयोग्य भूमि
- गैर-कृषि उपयोग हेतु प्रयुक्त भूमि
- कृषि योग्य भूमि
- स्थायी चारागाह एवं पशुचारण
- वृक्षों एवं झाड़ियों के अंतर्गत भूमि
- चालू परती
- अन्य परती
- शुद्ध बोया गया क्षेत्र
- एक से अधिक बार बोया गया क्षेत्र
- सामुदायिक क्षेत्र भूमि
- सड़क भूमि
- धार्मिक न्यास भूमि
क्या आबादी की जमीन की रजिस्ट्री होती है ?
नहीं, आबादी जमीन की रजिस्ट्री नहीं होती है। सरकारी योजना के तहत आबादी जमीन का पट्टा बनवाया जा सकता है। पट्टा पात्रता के अनुसार मिलता है। अलग – अलग जमीन के अनुसार आवासीय पट्टा और कृषि के लिए पट्टा जारी किया जाता है।
आबादी की जमीन अपने नाम कैसे करवाएं ?
आबादी जमीन को अपने नाम करवाने के लिए आपको पट्टा लेना होगा। फिर आप पट्टा के अनुसार उस जमीन पर आवास या व्यावसायिक कार्य कर सकते है। पट्टा आपको निर्धारित समय के लिए मिलेगा। जिसे समय – समय नवीनीकरण करवाना होता है।