अक्सर लोगो को पढ़ने या नौकरी करने के उदेश्य से लोग शहर मे मकान किराए पे लेते हैं क्यूंकी उनके पास नयी जगह पर अपना घर नहीं होता | इस प्रस्तिथि में रहने के लिए किराये का मकान ढूढ़ते है |शहरों में जिन लोगों के पास अपना खुद का घर है वह भी एक्स्ट्रा कमाई करने के लिए बाहर से आए हुए लोगों को किराए पर मकान दे देते हैं और उनसे निश्चित महीने भाड़ा के तौर पर पैसे प्राप्त करते रहते हैं।
लेकिन अगर कोई किरायेदार लंबे समय तक उनके मकान में रहता है और वह एक प्रकार से उस मकान पर अपनी मालिकी साबित करने लगता है। ऐसे में मकान मालिक काफी चिंतित हो जाता है और किराएदार से मकान खाली करवाने में उसे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। एसे कई हादसे हो चुके है, जिसके वजह से मकान मालिक बहुत चिंतित रहते है|इसलिए आप इस पोस्ट क्या किराएदार मकान पर कब्जा कर सकता है में दी गयी पूरी जानकारी को पूरा जरुर देखें | तो चलिये शुरू करते हैं |
क्या किराएदार मकान पर कब्जा कर सकता है ?
आपको बता दें की अगर कोई व्यक्ति लंबे समय से किसी अन्य व्यक्ति की प्रॉपर्टी पर किराए के तौर पर रह रहा है, फिर चाहे वह प्रॉपर्टी दुकान हो, मकान हो या फिर कोई दूसरी प्रॉपर्टी हो, तो वह किराएदार उस प्रॉपर्टी के मालिक के तौर पर अपने आप को प्रस्तुत नहीं कर सकता है।
क्योंकि हमारे भारतीय संविधान में ऐसा कोई भी नियम नहीं बनाया गया है, जिसके द्वारा आदमी किसी भी किराए की प्रॉपर्टी को अपनी प्रॉपर्टी घोषित करें और उसका मालिक बन बैठे। ऐसा करना कानून की नजरों में अपराध है।
व्यक्ति चाहे किसी भी किराए की प्रॉपर्टी पर चाहे कितने भी साल से रह रहा हो, चाहे 20 साल हो या फिर 50 साल हो, वह प्रॉपर्टी को जब तक खरीदेगा नहीं तब तक उसका मालिक नहीं बन सकेगा।
बिना खरीदे ही जोर जबरदस्ती से अगर व्यक्ति किसी किराए की प्रॉपर्टी पर अपना दावा साबित करता है, तो उसे अपना दावा सही साबित करना पड़ेगा और अगर उसका दावा गलत होता है, तो उसे दंडित भी किया जा सकता है अथवा उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है।
किन परिस्थितियों में मकान मालिक को गंवाना पड़ सकता है मकान यहाँ जानें
कोर्ट में ऐसे बहुत सारे केस चल रहे है जिसमें कोर्ट ने इस बात को साफ किया है कि कोई भी किराएदार चाहे कितने भी लंबे समय से किसी मकान के ऊपर रह रहा हो, वह उसका मालिक नहीं बन सकता है। वह जमीन किराए की ही रहेगी अथवा मकान किराए का ही रहेगा और वह उस जमीन पर हमेशा किराएदार ही रहेगा।
हालांकि हमारे देश में कुछ ऐसे भी मामले सामने आए हैं, जिसमें किराएदार ने लंबे समय से मकान मालिक के ऊपर केस किया हुआ है और यह साबित करने का प्रयास किया हुआ है कि वही उस मकान के मालिक है और कोर्ट ने भी किराएदार को ही मकान का मालिक घोषित किया है।
हालांकि इस प्रकार के केस में जो लोग किराए की प्रॉपर्टी के मालिक बन जाते हैं, उनका कारण यह नहीं बताया कि वह अधिक लंबे समय से उस प्रॉपर्टी पर भाड़ेदार के तौर पर रह रहे थे। बल्कि उसका मुख्य कारण यह होता है कि जो मकान का मूल मालिक है उसके पास अपने मकान पर ध्यान देने के लिए समय नहीं था।
और उसकी लापरवाही ही उसके हाथ से उसके मकान को गवा बैठी। नीचे हमने कुछ ऐसी गलतियों का उल्लेख किया है जो मकान मालिक के द्वारा अगर की जाती है तो उन्हें अपना मकान गवाना पड़ सकता है।
कभी-कभी ऐसी सिचुएशन पैदा होती है, कि मकान मालिक के पास उसके खुद के मकान के दस्तावेज ही पूरे नहीं होते हैं जिसकी वजह से अगर किसी किराएदार के द्वारा उसके मकान पर दावा ठोका जाता है। तो मकान मालिक को अपनी प्रॉपर्टी पर अपना मालिकाना हक साबित करने के लिए काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है और कभी-कभी तो उन्हें अपने मकान से भी हाथ धोना पड़ता है।
कुछ मकान मालिक ऐसे होते हैं, जो अपने मकान पर अधिक ध्यान नहीं देते हैं या फिर मकान मालिक जहां उनका मकान है, उससे दूर किसी जगह पर रहते हैं और सिचुएशन का फायदा उठाते हुए ऐसी अवस्था में भी किराएदार के द्वारा मकान मालिक से मकान हड़प लिया जाता है।
क्या करें कि किराएदार प्रॉपर्टी पर अपना मालिकानाहक़ क्लेम ना कर सके ?
नीचे हमने कुछ ऐसी महत्वपूर्ण बातों का जिक्र किया हुआ है, जिसे अगर आप ध्यान में रखते हैं तो आप भी मकान और किराएदार से संबंधित झंझटो से बचे हुए रहेंगे।
इस बात का हमेशा आपको ध्यान रखना है, कि अगर आपके पास किसी प्रॉपर्टी के कानूनी दस्तावेज उपलब्ध नहीं है, तो आप कभी भी ऐसी प्रॉपर्टी को किसी भी अन्य व्यक्ति को किराए पर नहीं देनी चाहिए और प्रयास करना चाहिए कि ऐसी प्रॉपर्टी के कानूनी दस्तावेज आप बनवा लें।
जिस प्रॉपर्टी के कोई भी कानूनी दस्तावेज नहीं होते हैं, ऐसी अवस्था में उस प्रॉपर्टी पर जिसके द्वारा कब्जा किया गया होता है वही उस प्रॉपर्टी का मालिक होता है। और दस्तावेज तो कभी भी बनवाया जा सकते हैं। हालांकि यह अवस्था सरकारी जमीन पर काम नहीं करेगी।
अगर आपके पास खुद का मकान, फ्लैट अथवा अपार्टमेंट अथवा टैनामेंट है और आप उसे किसी व्यक्ति को भाड़े पर देना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको व्यक्ति के बैकग्राउंड के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करनी है।
और व्यक्ति के साथ आपको रेंट एग्रीमेंट भी कर लेना है, जिसमें यह लिखना है, कि आप उसे मकान कितने समय के लिए भाड़े पर देना चाह रहे हैं। याद रखें कि कभी भी किसी भी व्यक्ति को 1 साल से अधिक मकान भाड़े पर ना दें और हर साल अपना रेंट एग्रीमेंट रिन्यू करवाते रहें।
- रेंट एग्रीमेंट के अंदर आपको वह सभी नियम और शर्त डालनी है, जिसके द्वारा आप अपने पक्ष को मजबूत कर सके ताकि आगे चलकर के अगर कोई समस्या होती है। तो ऐसी अवस्था में आप रेंट एग्रीमेंट के द्वारा अपने दावे को मजबूत कर सके और कोर्ट भी आपके दावे को ही सही मान कर के आप के पक्ष में फैसला सुनाएं।
- रेंट एग्रीमेंट में आपको इन सभी बातों को लिखना है, कि आपके द्वारा किराया कब और कितना बढ़ाया जाएगा और आप कितने समय के लिए अपना मकान किराए पर दे रहे हैं और आप कौन सी अवस्था में किराएदार से मकान खाली करवा सकते हैं।
- इस बात का भी आपको हमेशा ध्यान रखना है, कि जैसे ही आप का रेंट एग्रीमेंट एक्सपायर हो जाए वैसे ही आपको पांच से 10 दिनों के अंदर फिर से नया एग्रीमेंट किराएदार के साथ कर लेना चाहिए। अधिक दिनों तक एक्सपायर एग्रीमेंट पर आपको किराएदार को मकान में नहीं रहने देना चाहिए।
सामान्य प्रश्न (FAQs)
किराएदार मकान पर कब्जा करे तो क्या करें ?
सर्वप्रथम पुलिस कार्रवाई के द्वारा मकान खाली कराने का प्रयास करें। अगर फिर भी ना खाली करे तो किराएदार के खिलाफ कोर्ट में केस करें?
क्या 20 साल से एक ही मकान पर रहने वाला किराएदार मकान का मालिक बन सकता है ?
नहीं, जब तक कि उसके पास मकान के मालिकाना हक के आवश्यक दस्तावेज ना हो। मकान पर रहने वाला किराएदार उस मकान का मालिक नहीं बन सकता है|
किराये के लिए मकान का एग्रीमेंट कितने दिनों का होता है?
किसी भी व्यक्ति को मकान किराये पर देने के लिए उस मकान का 11 महीने का एग्रीमेंट बनाया जाता है. क्योकि,11 महीने एग्रीमेंट आम तौर पर परमानेंट नहीं होता है |
रेंट एग्रीमेंट क्या होता है ?
इसे भाड़ा करार कहते हैं जिसमें यह लिखा होता है, कि मकान का मालिक कौन से किराएदार को कितने समय के लिए मकान भाड़े पर दे रहा है।
क्या रेंट एग्रीमेंट करवाना आवश्यक है ?
जी हां आप को किराएदार के साथ रेंट एग्रीमेंट अवश्य करना चाहिए। क्योंकि भविष्य में कोई भी परेशानी आती है, तब आप रेंट एग्रीमेंट के पेपर के द्वारा कानूनी फैसला अपने हक में पा सकते है।